ऊंट को मरुस्थल का जहाज क्यों कहा जाता है ? – Unt Ko Marusthal Ka Jahaj Kyu Kaha Jata Hai

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Unt Ko Marusthal Ka Jahaj Kyu Kaha Jata Hai

Unt Ko Marusthal Ka Jahaj Kyu Kaha Jata Hai – आज हम आपको ऊंट को मरुस्थल का जहाज क्यों कहा जाता है उसकी जानकारी देने जा रहे है।

ऊंट को मरुस्थल का जहाज क्यों कहा जाता है ?

विशाल शरीर के कारण यह तेज धूप से नहीं कर पाता किंतु बड़े आकार के ऊंट छोटे आकार के ऊंट की अपेक्षा दिन की गर्मी में धीरे-धीरे गर्म होता है। यह रेगिस्तान में पानी की खोज में दूर-दूर तक जा सकता है।कुबड़ ऊंट की एक विशेषता है। जो आकार में लगभग 50 सेंटीमीटर ऊंची और 200 सेंटीमीटर घेरदार होती है। ऊंट की त्वचा के नीचे वसा की तह नहीं के समान होने के कारण शरीर के अतिरिक्त ताप को निकालने में इसे सुविधा रहती हैं।

इसके पैर के पंजों की हड्डियां चौड़ी वह चपटी होती है जो गद्देदार चमड़ी में धंसी होती है। ऊंट के चलने पर दबाव के कारण गद्देदार पंजा फैलता है जो रेत में सुदृढ़ पकड़ पैदा करता है इस कारण रेतीली भूमि पर सुगमता से चल सकता है। इसी क्षमता के कारण से रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है।ऊंट के वक्ष स्थल एवं चारों पैरों के घुटनों पर मोटी कठोर त्वचा की गद्दी होती है ।

ऊंट जब बैठता है तब केवल यही भाग भूमि के संपर्क में आता है । शरीर के अन्य भाग उचाई पर रहते हैं। ऊंट की गर्दन व सिर का कठिन परिस्थितियों में जीवित रहे पाने में एक महत्वपूर्ण योगदान होता है। इसके होंठ अत्यधिक संवेदनशील होते हैं जिससे कटीली झाड़ियों एवं वृक्षों से पत्तियां चरते हुए कांटे चुभने से बचाव होता है। इसकी उभरी भौंहे सूर्य प्रकाश के चकाचौंध से आंखों को बचाती है।

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